भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 235
(प्रमाणपत्र को जिसका मिथ्या होना ज्ञात है सत्य के रूप में काम में लाना)
जो कोई किसी ऐसे प्रमाण-पत्र को यह जानते हुए कि वह किसी तात्विक बात के सम्बन्ध में मिथ्या है सत्य प्रमाणपत्र के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- वही जो मिथ्या साक्ष्य देने के लिए है
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 198 को (BNS) की धारा 235 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |
अघ्याय 2 की सारी धाराएं विचारण के पहले की (इनके प्रारूप ऊपर हेड में दिए गए है)